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रविवार, 7 जनवरी 2018

लफ्ज़ लाजवाब हो

लफ्ज़ लाजवाब हो
खुशियों की सवाब हो
उस पर यार का प्यार हो
सच ही वह यार कैसा दिलदार हो
घर से द्वार हो
देश परदेश हो
चाहे अंग प्रदेश हो
वहां यार रंगरेज हो
तो यार प्रगति का संदेश हो
रेतीली  मैदान हो
चाहे चिकनी मिट्टी का
बना पहलवान हो
अगर यार शैतान हो
तो सब सम्मान बेकार बेकार हो
लब्ज़ लाजवाब हो
हाथ में गुलाब हो
यार का मुस्कान हो
तो जिंदगी बाग बाग हो
लब्ज़ लाजवाब हो
मीठी बातों का भरमार हो
यार दिलदार हो
होठों पर मुस्कान सवार हो
तो करामात बेशुमार बेशुमार हो।।।

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