मेरे दिल में एक सैलाव आया है
तेरी याद अब भी मिट नहीं पाया है
तेरी दिल तो बहुत कोमल थी
ऐसा लकीर कोई खींच नहीं पाया है ।।1।।
तेरी याद अब भी मिट नहीं पाया है
तेरी दिल तो बहुत कोमल थी
ऐसा लकीर कोई खींच नहीं पाया है ।।1।।
प्यार का कशीश टूट नहीं पाया है
हर जगह तू ही तू नजर आया है
ये बीमारी है या यादें की परिंदा
अभी तक समझ नहीं आया है ।।2।।
हवा चलती है होंठ सुख जाता है
और कुछ सोचूं दिल रूक जाता है
कैसी लगन लगाके के गयी
किसी नाम से पहले दिल रूठ जाता है ।।3।।
~तरुण यादव रघुनियां
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com