हमको पता बता रहे हैं।
नस्लवाद में जलने वाले
लोकतंत्र सिखा रहे हैं।।1।।
खुद की संस्कार का पता नहीं
हमको असभ्य बता रहे हैं।
आका ने दुनिया तबाह किये
अब हमको लड़ा रहे हैं।।2।।
हमने शांति का ज्ञान दिये
घर घर योग ध्यान सिखा रहे हैं
खुद वैमनस्यता, रंगभेद का रोगी
हमें सद्भावना पाठ पढ़ा रहे हैं।।3।।
नहीं चाहिए उपदेश तुम्हारी
ये अमेरिका, यूरोप नहीं है।
अनेकता में एकता से रहते
हर समस्या हल कर रहे हैं।।4।।
~तरूण यादव रघुनियां
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com