नूर की तलाश थी नूर मिल गई।
खुदा तेरी दीदार जिंदगी बदल गई।।
रब तेरे इश्क में पागल सी हो गई।
दर-दर भटकती थी आसरा मिल गई।।
तेरी दीदार के लिए गिरी पर्वत पर बैठी थी।
आस्था विश्वास के साथ तेरी दिन रैन सुमिरन करती थी।।
1 दिन की बात कहूं तेरी दीदार हो गई।
नूर की तलाश थी नूर मिल गई ।।
मेरी अंधेरी जिंदगी में बहार सी छा गई।
वर्षों की साधना का खुशी मिल गई।।
दिन रैना सब अब दिन में बदल गई।
चारो दिशा तू नजर आया जिंदगी बाग बाग हो गई ।।
नूर की तलाश थी नूर मिल गई।
बहुत आरजू थी जिंदगी बदल गई।।
शुक्रवार, 5 जनवरी 2018
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अंतर अजब बिलास-महर्षि हरिनंदन परमहंस जी महाराज
श्री सद्गुरवें नमः आचार्य श्री रचित पुस्तक "पूर्ण सुख का रहस्य" से लिया गया है।एक बार अवश्य पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇👇 : प...
जयगुरू सुपर
जवाब देंहटाएं