रे मनचल अमरपुर देश
जहां न होता कोई क्लेश
सदा मिलता विवेक ही विवेक
रहता ना माया लवलेस
माया नगरी में दुख हजार
जन्म लेता बारंबार
नहीं कोई रास्ता जाने का भवपार
अज्ञानी निकल न पाता आर पार
रे मन......
सद्गुरु बताता वो डगर
चलना पड़ता संभल संभल
ज्ञानी चलता एकदम अटल
वही पार पाता भव जल
रे मन.....
उमर रहते कर गुरु खोज
जो बतावें मुक्ति का ठोर
तरुण साधना कर चल ओर जहां होता हरदम इंजोर
रे मन........
शुक्रवार, 5 जनवरी 2018
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