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शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

आज का प्यार

उसकी थी क्या यही उसूल
जो दगा देकर गई भूल
दिन रात वह मौज मनाती
रात दिन उनकी यादें तड़पाती
आज है किसी और के संग
कूटनीति से प्यार को किया बदरंग
यही है उसकी अदा
इसलिए निकली वेवफा
मैंने अपना समझ कर
अपना मान लिया
वह मेरे दिल से खेलकर
तंहा में जीना छोड़ दिया
मेरे यार कोई ना करना प्यार
आज का प्यार
जीना कर दे लाचार
यार आज का प्यार पूरा संसार
ना जीने ना मरने कर देगा बेकार
"तरुण" करना ऐसा प्यार
जो होगा दिलदार
और जिंदगी में ला देगा बाहर
जो जिंदगी में खुशी के फूल भर देगा आर पार
आज का प्यार पूरा बेकार
जो जिंदगी को कर देगा तार तार।।

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