सत्ता की आग
जनता को कर रहा तबाह
नेता चल रहा बेपरवाह
शांति को बना रहा अबाह
बाहर करता वाह-वाह
सत्ता के असुर
जनता का क्या कसूर
संप्रदायिकता का चढ़ा दिया रंग
सुख शांति को कर दिया भंग
मना रहा अपने में उमंग
चुनाव समय सभा करता विशाल
अपने किए करतूत का देता मिसाल
फूट डालकर मांगता वोट
देश की एकता पर करता चोट
मिल सके आगे आग
जो मिटाए सत्ता की आग
मंगलवार, 3 जुलाई 2018
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