टीवी और मीडिया चैनलों पर अब नीतीश कुमार छाए हुए हैं पहले टीवी और मीडिया वाले नीतीश कुमार पर कर रहे थे यह केवल चुपचाप सुन रहे हैं कुछ भी बयान नहीं दे रहे हैं क्यों और अंत में उत्तरा ही गया प्यारे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का वह भी प्रशांत किशोर के बार-बार बयान देने के बाद पहले तो ऐसा लगने लगा था कि जिस तरह से कैब पर समर्थन किया चाहे लोकसभा हो चाहे राज्यसभा हो फिर उसके बाद चुप हो जाना फिर प्रशांत किशोर का अपना बयान को तवज्जो नहीं देना फिर पार्टी से उसको साइड लाइन के रास्ते लाना फिर 2020 का इलेक्शन की चिंता इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए फिर मुस्लिम वोट को ध्यान में रखते हुए आखिर राजद को बगल करने के लिए नीतीश कुमार ने अपना एनआरसी का पंचनामा ठोकर ही डाला जबकि इस पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने एनपीआर का उद्घोषणा भी किया तो इसका सपोर्ट किया गया लेकिन बाद में वही मुख्यमंत्री साहब कहते हैं कि अब इस पर सोचा जाएगा मंथन किया जाएगा आखिर पीके का जीके पढ़ने लगा एनके चलो अब बिहार का विकास कुछ भी हो लेकिन पीके का जीके मंत्रा का गुण केकई को काम आया और उसी राह पर अब तो देखना होगा बीजेपी क्या करती है क्योंकि बीजेपी कभी हार में कोई खास चेहरा नहीं है खास चेहरा नहीं रहने के कारण मजबूरी में नीतीश कुमार को सपोर्ट करना पड़ रहा है लेकिन यह कब तक और आरजेडी भी नीतीश कुमार के लिए मुहावरे हैं लेकिन क्या बिहार की राजनीति फिर करवट लेती नजर आ रही है तो फिलहाल तो संशय की स्थिति उत्पन्न है और इसका एक्सेंट बीजेपी के नेता के बाद ही आएगा लेकिन एक बात तो तय है एनपीआर तो लागू होगा ही एनआरसी का पता नहीं लेकिन बीजेपी की मुश्किल बढ़ती जा रही है जबकि एनपीआर जो भी घमासान चल रहा है वह सभी घमासान का एक ही जगह है वह है कैब और एनआरसी बिहार का कई नेता चाहे बीजेपी को चाहे जदयू का हो कैब के समर्थन में तो नजर आते हैं केवल प्रशांत किशोर बगल नजर आते हैं और यह कांग्रेस की तरफ से बयान देते हैं और इस मोह में अब धीरे-धीरे नीतीश कुमार भी फंसते जा रहे हैं लेकिन सत्ता सुख के लिए किधर अपनी पार्टी का करवट को लेकर जाते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा पॉलिटिक्स ही बताएगा लेकिन 2020 के इलेक्शन के बाद प्रशांत किशोर का बिहार की राजनीति में दखल ना मंजूर होगा और हो सके तो बिहार के पॉलिटिक्स से उसका चैप्टर भी गौन हो सकता है। बिहार की राजनीति हमेशा से कमजोर रही है जातिवाद हावी रहा है वंशवाद हावी रहा है लेकिन इस सब से उठकर के किसी अलग राह पर बिहार की जनता को बढ़ना चाहिए चाहे नीतीश कुमार हो चाहे आरजेडी हो चाहे बीजेपी हो इन सभी को छोड़कर के खास करके यहां की युवा को एक अलग राह पकड़ना चाहिए। नहीं तो इसी तरह से बिहार के नेता अपना कार्य करते रहेंगे अपना कलाबाजारी चलाते रहेंगे फिर वही एनपीआर एनआरसी सी ए ए का मुद्दा लेकर के घूमते रहेंगे जनता को उल्लू बनाते रहेंगे और अपना राजनीतिक रोटी सेकते रहेंगे और जनता को डराने से जनता का अपना खुद ही नुकसान होता है इसे जनता का बहुत ही भला होता है इसलिए जनता को अब सोच समझकर कदम उठाना चाहिए बिहार में पुनः एक राजनीति का कारण का दौर शुरू होने जा रहा है और यह कुछ दिन रहेगा और फिर सिमटकर राजनीति की कड़ी को जोड़ना प्रारंभ करेगा और फिर 2020 का इलेक्शन जोर-शोर से शुरू होगा और दांव पर लगाकर बिहारी पॉलिटिशियन अपना राजनीतिक रोटी को गर्म करेंगे और इसी तरह उल्लू बनाते रहेंगे बिहार के विकास को क्या नया आकार दिया यह तो सभी जानते हैं किस तरह से पलटी मारते हैं इसी का बखान देसी यादव करते हैं और उसके बाद बीजेपी भी करते हैं लेकिन फिलहाल तो यही नजर आ रहा है नीतीश कुमार के एनआरसी पर बहुत भयंकर पंच मारने का प्लान पीके के जीके के अनुसार करने का सोच रखा है
सोमवार, 13 जनवरी 2020
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