जीवन का अनुभव ज्ञान दिया
आत्म परमात्म का ज्ञान दिया।।2।।
कहा नित सत्संग ध्यान करो।
जीवन का निज काम करो।।3।।
मानव के लिए किया उपदेश
घर घर जाकर दिया संदेश।।4।।
संतमत ज्ञान हैं जीवन सार
हो जायेगा भव सागर पार।।5।।
जीव हित कई ग्रंथ किये रचना
कल्याण हेतु सब कोई पढना।।6।।
राम चरित मानस सार सटीक
कल्याण के लिए बात ठीक ठीक।।7।।
महर्षि मेंहीं पदावली, सत्संग योग
मनोयोग से होता परमात्म संयोग।।8।।
सुबह नित करते सत्संग योग पाठ
खुलता उनका कर्म बंधन का गांठ ।।9।।
अपराह्न करते नित मानस पाठ
खत्म होता उनका सब संताप।।10।।
भक्त करता गुरु भक्ति का योग
एक दिन होता परमात्मा योग ।।11।।
कई ग्रंथ पर सटीक अनुवाद किया
परमात्म भक्ति का साधन सार दिया।।12।।
गुरु देवी साहब से जो ज्ञान लिया
ठीक अपने जीवन में उतार लिया।।13।।
कर डाला आवा-गमन का अंत
हो गये 20वीं सदी के महान संत।।14।।
पंच पाप से बचने का सिद्धांत दिया
पालन के लिए सदाचार ज्ञान दिया।।15।।
मोक्ष पाने का अनुभव ज्ञान दिया
गुरु, ध्यान ,सत्संग का अवलंब दिया।।16।।
त्रिकाल संध्या के लिए उपदेश दिया
साधकों के लिए जीवन पद्धति दिया।।17।।
त्रिकाल संध्या जो नित प्रति करेगा
एक दिन आवागमन चक्र से छूटेगा।।18।।
जो मानव नित प्रति सत्संग करेगा
गुरू कृपा से भव सागर पार उतरेगा ।।19।।
संतमत सिद्धांतों का जो पालन करेगा
संसार में चारों ओर यश कीर्ति बढेगा ।।20।।
तरूण करता एक अरजी कर- जोर
सदगुरू आवागमन कर दो मेरा उबेर।।21।।
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