तू पाप का फल पायेगा
यम से सजा भी पायेगा
वहां कोई नहीं बचायेगा
कितना क्यों न छरपटायेगा।।1।।
मार मार कर बात बकायेगा
यातना दे देकर तरपायेगा
कर्म का हिसाब चुकता करायेगा।
हाँ हाँ तू पाप का फल पायेगा ।।2।।
जब तुम पाप का दंड पायेगा
कोई साथी न साथ निभायेगा
जीना छोड़ो, रो भी नहीं पायेगा
हाँ हाँ तू कर्म का फल पायेगा ।।3।।
नेकी का फल साथ निभायेगा
बाकी कोई नजर नहीं आयेगा
बुद्धि,चालाकी काम न आयेगा
हाँ हाँ तू पाप का फल पायेगा ।।4।।
जब पाप का घड़ा भर जायेगा
यमराज अपने पास बुलायेगा
जाते ही यातना शुरू हो जायेगा
हाँ हाँ तू अहंकार का फल पायेगा ।।5।।
इस संसार से सब कोई जायेगा
चाहे कोई कितना भी इतरायेगा
धर्मराज अपना डायरी उलटायेगा
हाँ हाँ तू अज्ञानता का फल पायेगा।।6।।
तरूण मानवता का पालन कर
लोक परलोक में काम आयेगा
धर्म ही हर जगह साथ निभायेगा
हाँ हाँ तू यमराज से छूट पायेगा।।7।।
✍✍✍तरुण यादव रघुनियां ✍✍✍
मधेपुरा( बिहार )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com