क्यों बन रहा तू शैतान
दो दिन का है मेहमान
कर रहा सबको परेशान
टूट जायेगा सारा गुमान ।
क्यों बन रहा तू शैतान
दो दिन का है मेहमान ।।1।।
माता पिता को छोड़ा
अपनों से नाता तोड़ा
दहशतगर्दी से नाता जोड़ा
ना होगा कोई सहारा ।
क्यों बन रहा तू शैतान
दो दिन का है मेहमान।। 2।।
सब प्यार,प्रेम को भूला
मजहब के भंवर में डूबा
जिंदगी रह गया अधूरा
ये तोहफा नहीं वसूला ।
क्यों बन रहा तू शैतान
दो दिन का है मेहमान।। 3।।
अरे तू जहाँ जहाँ जायेगा
सोच सोचकर पछतायेगा
भारी, कठोर दंड पायेगा
कोई नहीं काम आयेगा ।
क्यों बन रहा तू शैतान
दो दिन का है मेहमान।। 4।।
अपने जमीर को पहचान
जीवन पर करो अनुसंधान
कितना सुंदर पावन तन
क्यों यूँ ही रहा पल पल।
क्यों बन रहा तू शैतान
दो दिन का है मेहमान ।।5।।
✍✍✍तरुण यादव रघुनियां ✍✍✍
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