जान देकर सीमा से ढिगा नहीं
मेरे शोर्य किसी से छिपता नहीं ।
माता भारती के लिए जां को लुटा देंगे
तुफां से क्या मौत को हिला देंगे ।।1।।
मेरे खून का कतरा कतरा देश का कर्जदार है
गर मेरे जान से कुछ सेवा हो सोचेगे वफादार है ।
मेरे पीढी का गौरव गाथा सब चाव से गाते हैं
दुनिया मेरे बलिदान को आंसू से याद करते हैं ।।2।।
आन वान शान की बात आये तो दुश्मन थरथर करते हैं ।
जिधर चलता हूँ दुनिया पीछे चलती हैं
माँ भारती आशीष से दुश्मन पीछे हटते हैं ।।3।।
जल थल नभ नित नये कीर्तिमान रचते हैं
मेरे करतल ध्वनि से दुश्मन का छाती हिलते है ।
राष्ट्र की रक्षा के लिए जब दुश्मन को ललकारते हैं
मेरे गौरव गाथा को दुश्मन भी स्वीकारते हैं ।।
जय मां भारती, जय मां भारती
माँ तेरे लिए दुश्मन की लहू से करू आरती ।।4।।
🙏🙏🙏माँ भारती के चरणों में अर्पित कविता 🙏🙏🙏
✍✍✍✍तरुण यादव रघुनियां ✍✍✍✍
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