लड़कपन का जमाना चला गया
माथा पर घूंघट रखना भूल गया ।।
वो प्यार का पंचनामा, भूल गया ।।
शालीनता का जन पाठ भूल गया
थोड़ा सा डांटा रिस्ता भूल गया ।।
ईंट के याद में,मिट्टी को भूल गया
मौखा पर फूल लिखनी भूल गया ।।
नेताजी वादा खिलाफी भूल गया
जनता-जनार्दन कीमत भूल गया।।
नया जनरेशन डिप्रेशन भूल गया
धर्म की दीवार का आग बूत गया।।
कैसे याद करें जवानी मिल गया
तरुण तो तरुणाई को भूल गया।।
~तरुण यादव रघुनियां
#तरूणयादवरधुनियां
#tarunyadavraghuniya
#raghuniya
#gajal
#kavita
#najm
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com