होंठ पर हमेशा मुस्कान रखो
भूल जाओ पुरानी बातों
वर्तमान को सुधार कर रखो।।1।।
दिल में एक अरमान रखो
मन ही मन एक स्वाद चखो
भूला दो सारी दुनिया को
अपने सपने हमेशा जान रखो।।2।।
तनाव को एक किनार रखो
दिल में जुनून की आग रखो
जिंदगी में कितना तुफां भी
खुद से खुद का सवाल रखो।।3।।
दूसरों की कमियां से अलग रखो
अपने में बदलाव का बयार रखो
कमियां अपनी गिन गिन कर
सुधार की एक अखबार रखो।।4।।
~तरुण यादव रघुनियां
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