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शनिवार, 7 नवंबर 2020

जो अपना हैं नहीं दिल लगायें कैसे

जो अपना हैं नहीं, दिल लगायें कैसे 
बिन बांस का, बांसुरी बजाये कैसे ।।1।।

जो दिल की न सुनें,फिर सुनायें कैसे 
जब अपना ही नि-कला,बतायें कैसे।।2।।

राह निकला न कभी,राह बतायें कैसे
मैं था ही नहीं,उनकी बात बतायें कैसे।।3।।

दिल में दर्द बहुत था,इन्हें दिखायें कैसे
अपना ही  निकला बेदर्द, बतायें कैसे ।।4।।

मुस्कान को समझा प्यार,उम्मीद कैसे
कुछ तो कह न सका,फिर जुवान कैसे।।5।।

दिल कभी लगाया, दिलदार कैसे
रूठे को मनाया नहीं, प्यार कैसे ।।6।।

~तरुण यादव रघुनियां 

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