प्रेम,प्रकाश का लौ बढाओ
अंधेरे से कद दो
अपना घर कहीं और बसा लो।।1।।
अंधेरा,अज्ञान का प्रतीक
दीप हैं प्रकाश का प्रतीक
अंधेरों से कह दो अगर
दीप का जोत हैं, तू कहीं
और चले जाओ।।2।।
मेरे घर में जोत हैं
खुशियाँ ओत-प्रोत हैं
अंधेरों से कह दो
कहीं और चले जाओ।।3।।
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