किया ना निज काम रे।
अंत समय जमराज जाएंगे
मारते मारते ले जाएंगे यम ग्राम रे ।।1।।
मद मान के अभिमान में भूला
छूट गया निज काम रे
अब तो उमर बीत रहा है
कब फिर जपेगा प्रभु नाम रे।।2।।
धन पुत्र परिवार यौवन में भूला
भूल गया कॉल करार रे
अब तुम झूठे गुमान में भूला
फिर रहा चारों ग्राम रे।।3।।
यही सही अवसर है मानुष
चेतो करो प्रभु गुण गान रे
यम के मुंगरी खाने से पहले
ढूंढ लो निज धाम ये।।4।।
~तरूण यादव रघुनियां
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