भर न रहा इनका बदारी
इच्छा तृष्णा के कारण
भटक रहा दुनिया सारी।।1।।
उम्र तो बीत रहा
अब कुछ तो विचारि।
अपना संभाल करो
क्यों बना हवस पुजारी।।2।।
लाख चतुराई करले
काम न दुनिया दारी
झट-पट सतगुरु का शरण
इसी में जीवन उद्धारी।।3।।
~तरूण यादव रघुनियां, मधेपुरा
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