किसी ने दुश्मन बन कर लूटा।
हम बेवजह सोचता रहा मेरा कर्म है फूटा।।1।।
किसी ने प्यार कह कर लूटा
किसी ने इश्क कह कर लूटा
मैंने क्या अपना कहा
कहा तेरा मोहब्बत है झूठा।।2।।
किसी ने भाई बनकर लूटा
किसी ने कसाई बनकर लूटा
हमने सबको दिल से माना
पता चला ये शहर है रूठा।।3।।
~© तरूण यादव रघुनियां मधेपुरा
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