दिल के दर्द से बढकर तूफान नहीं है।।
सदाचार से बढ़कर चमत्कार नहीं है
मनुष्य तन से बढ़कर अवतार नहीं है।।
शब्द वाण से बढ़कर वार नहीं है
अहंकार से बढ़कर शिकार नहीं है।।
मां के दूध से बढ़कर आहार नहीं है
मानव तन से बढ़कर उपहार नहीं है।।
अज्ञान से बढ़कर कालिख नहीं है
ठोकर से बढ़कर सीख नहीं है।।
~तरूण यादव रघुनियां मधेपुरा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com