यह तो मेरा दिल ही जानता है
सब तो समय का फिरंगी है
इस रेत में क्या ढूंढता है।। 1।।
बिना काम का कौन पहचानता है
क्या अजनबी धूर छानता है
अन्दर कितना दर्द छिपा है
यह तो सब मेरा दिल जानता है।।2।।
अपनो के सिवा कौन मानता है
मुफ्त में कौन है हेलो करता है
सब तो मौके की तलाश में है
यह तो मेरा दिल जानता है।।3।।
धूर्त देखकर आंख पर पट्टी बांधता है
दर्द देकर अपना को सुखी मानता है
कितना दर्द सहा हूं इस जालिमों से
यह तो मेरा दिल जानता है।।4।।
~तरूण यादव रघुनियां मधेपुरा
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