दिखने में आवारा हूं
और क्या क्या कहूं
अभी तक कुंवारा हूं।।
किसी ने हुस्न दिखाकर लूटा
किसी ने बीच सड़क पर कूटा
किसे कहूं अपना दुखड़ा
मेरा भाग्य कर्म है फूटा।।
तेरे महफ़िल में आया हूं
कुछ सुनाने मैं आया हूं
सोच समझ कर करना प्यार
नहीं तो जिंदगी होगा बेकार।।
© तरूण यादव रघुनियां
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