समय की ऐसी काली साया
जिसमें एक एक सब लिपटाया
ऐसी चकमक चांदनी का
जिसमें पता नहीं अपना का
बच्चे बूढ़े और जवान
सभी अपने जीवन के शैतान
गतिशीलता की स्थिति में
पता नहीं मैं किस स्थिति में
नेट सेल की दुनिया में
बैठे संसार को देखें
यह काली बदरा छाए में
दिमाग की वृद्धि खटाई में
ऐसी दुनिया छोड़ ना
एकांत में बैठ कर सोचना
मस्तिष्क की संसार में
इनके करतूतें की इंतजार में
भयाक्रांत के बगल संसार में
नवीन जीवन के इंतजार में
युगों के उद्धार में
भूगोलों के विस्तार में
तब युग को नवीन जीवन देने में
खत्म होगा सिर की संकीर्णता छन में
मस्तिष्क की संसार में
इनके कसूती की इंतजार में।।।।
सोमवार, 19 फ़रवरी 2018
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