एक पेड़ सड़क किनारे खड़ा
इंतजार कर रहा
मैं जब पहुंचा तो
बैठने को कहा
लेकिन मैं चल दिया
वह छाया से रोक लिया
कहा थोड़ा आराम कर लो
फिर मेरा बात सुनो
मेरे लिए काली बदरा छाई
मानुष बना कसाई
एक एक कर यम जैसा
कर रहा सफाई
मैं करता सदा भलाई
तन मन भी समर्पित
सदा करता रहता
वायु का देता प्राण अर्पित
अंतिम बात सुनो
चित मन धरकर भाई
मेरे जीवन से सदा
प्यार करना सिखाओ
भाई नहीं तो पछताना पड़ेगा
आंखें मलकर भाई
ओजस्वी वाणी सुन
मैं बहुत सकुचाई
मैं असमंजस में पर
कुछ करने को ठाना
तेरी सनम तेरे लिए
तुझको मातृभूमि पर बचाना
तेरे लिए जो कुछ
चाहे जान पड़े लुटाना।।।
सोमवार, 19 फ़रवरी 2018
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आनंद और मंगल की जड़ सत्संग हैं -संत सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज
बीसवीं सदी के महान संत सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज का प्रवचन को पूरा देखें 👇🙏👇 🙏🕉️ *जय गुरूदेव* 🕉️🙏 आनन्द और मंगल की जड़ : ...

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com