पुरुषार्थी का राह बड़ा निराला
उसके आगे सभी कार्य प्याला प्याला
जंगल वन्य नदी झरना हो
सीमा का क्यों ना गरसर मैदान हो
कभी ना वह पीठ दिखाते
दुश्मन उसके डर से दुम हिलाते
पुरुषार्थी ।।।।
पुरुषार्थी का चोटी शिखर समान
हर सभी को देते हैं बड़े सम्मान
पुरुषार्थी आज के दिन में जैसे वीर जवान
शिक्षक कवि समाजसेवी और किसान
सदा कार्य में मगन है रहते
नदी की धारा जैसे बहते रहते
हैं करते रहते उसका इंसान गुणगान
यही कि आज के युग का सान
नहीं करते वह कभी अभिमान
आज करना है ऐसे पुरुषार्थी का पहचान
जिससे हो जाएगा देश का कल्याण
पुरुषार्थी के लिए तरुण से देखो
बाद में अपनी भाग रेखा देखो।।
सोमवार, 19 फ़रवरी 2018
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