बाबा मेंही देल के ज्ञान से ,सब मिल करू हे।
मिलत न ऐसन सद्गुरु से, भवजल तरु हे।।
दुनिया में भटकी भटकी ,बहुत ठोकर खेलो हे ।
सब जगह घूमी घूमी ,अशांति में रहलु हे।।
आडंबर रूढिवाद में पड़के जीवन वेरथ केलो हे।
दुनियादारी में पर के उमर बीतेलो हे।।बाबा ,,,
धन दौलत कुटुंब कबीला के ,फेर में उमर बीतल हे।
जब हम समझलो से, कोई काम ना एलो हे।।
सद्गुरु कहल के, दुनिया में रह दुनिया के काम करू हे।
फुर्सत निकाल के समय-समय पर भजन करू हे।।
स्वावलंबी जीवन जीते सत्संग भजन करूं हे।
एहो संग जैतो से गुरुबल तरु हे।।
उमर बीतल जाय छे से, तरुण से भजन करू हे।
गुरु जप करते-करते अंतिम क्षण तक चलू हे।।
बाबा मेंही दिल के ज्ञान से सब मिलकर .......
रविवार, 10 जून 2018
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जवाब देंहटाएंशानदार
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