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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

मेरी जान रूठ गई

मेरी जान रूठ गई
क्या कहूं दिल टूट गई
मुलाकातें छूट गई
मेरी दुनिया लुट गई!! .....
मुझसे क्या गुनाह हुई
जो वे बेपरवाह हुई
  वह बिना कह कर गई
दिल  की मंजिल खत्म हुई। ।.......
आंखों का आंसू छूट नहीं रहा
उनकी यादें मिट ना रहा
मेरा दिल बस में न रही
वह कैसे छोड़कर गई !!....
वह कैसे भूल गई
लगता कोई मिल गई
वह बिना कह कर गई
दिल का नाता तोड़ के गई!!....
कल रात सपने में आई
  अपने दिल की दर्द बताइ
बोली हम रूठ कर आई
जिंदगी लगता छूट गई!!.....

1 टिप्पणी:

kumartarunyadav673@gmail.com

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