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बुधवार, 12 दिसंबर 2018

नारी हूँ कमजोर नहीं

नारी हूं कमजोर नहीं
दुनिया में मुझसे बेजोर नहीं
मेरे बिना चारों ओर नहीं
मुझसे आगे कोई और नहीं ।।
भू से अंबर तक मेरी शान
द्वीप से महाद्वीपों तक मेरी पहचान
मैंने ही बढ़ाया मिशन चंद्रयान
फिर क्यों समझता मुझे नादान ।।
हर घर की शान  हूं
सबकी पहचान हूं
सबके लिए कुर्बान हूं
लेकिन मत समझो नादान हूं ।।
मुझसे ही संसार सजी
हर घर में मैं हूं भरी
फिर क्यों लूं आसरा
क्योंकि मैं हूं सबकी सहारा।।
मां बनकर हर घर रहती
सभी का सहारा बनती
कभी बेटी कभी बनु बहु
फिर क्यों पीता मेरा लहू।।
अब मैं कितना सहूं
कितना बढ़ाओगे मेरा लहू
अब मैं फिर दुर्गा बनूं
दुष्ट का वमन करूँ ।।

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