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रविवार, 21 अप्रैल 2019

ध्यान से ज्ञान और ज्ञान से सुख होता है

बीसवीं सदी के महान संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज हमेशा जनकल्याण जन उधार की बात करते थे और कार्य में लगा रहे थे उसका यही प्रचार-प्रसार हमेशा जीवन भर होता रहा और उन्होंने अपने प्रसंग वश अनेकों प्रसंग सुनाते थे जिससे लोग प्रेरित होकर के सत मार्ग अपनाते थे और अपनाएं और अपना भी रहे हैं :-
"एक बार सत्संग प्रचार प्रसार करने के क्रम में एक व्यक्ति ने सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज से पूछा कि आप क्या करते हैं तो उन्होंने कहा कि मैं" ज्ञान प्रचार "करता हूं तो कहा इस से क्या होता है?
 ईश्वर के बारे में जानना समझना आ जाता है तो
 उन्होंने कहा कि ईश्वर है?
 तो सद्गुरु ने कहा" हां ईश्वर है"
 वह व्यक्ति ने कहा कि" मैं ईश्वर को नहीं मानता हूं "
तो सतगुरु  कहा आप नहीं मानिए आपको कोई थोड़े बोलते हैं ईश्वर को माने लीजिए तो
उन्होंने कहा कि आपका यह जान प्रचार कौन काम कर रहा ?तो इस पर सतगुरु ने कहा- कि आप क्या चाहते हैं ज्ञान चाहते हैं बोले हां सुख चाहते हैं बोले हां
 तो सतगुरु ने कहा कि-" ज्ञान और सुख ध्यान करने से होता है "
जो ध्यान करते हैं उसको ज्ञान सुख मिलता है इसलिए मैं इसी का प्रचार करता हूं और ऐसा सुनकर के उसको समझ में आ गया और वह व्यक्ति भी हामी भर दी है इस तरह सद्गुरु हमेशा चाहे नास्तिक हो क्या आस्तिक हो सबको सत्य का पाठ पढ़ाते थे और ज्ञान ध्यान की बात बता कर के सुख की रास्ता बताते थे और कहते थे जो ध्यान करेंगे उसको ज्ञान होगा और जिसे ज्ञान होगा तो उसको सुख मिलेगा ही और इसके साथ साथ उसको अंत में ईश्वर की प्राप्ति भी होगी और लोक परलोक दोनों उसका समर जाएगा जय गुरू

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