प्रायः सबके जुबान से एक बात सुनने में आता है की मोदी में कोई जादू है कोई चमक है
और वर्तमान परिस्थिति में अनेकों के मुंह पर जुबान पर यही रहता है राहुल में दमक हैं
लेकिन आप लोगों को तथ्य के आधार पर समझा देने का प्रयास करूंगा कि ना ही मोदी में चमक है और ना ही राहुल में कोई दमक है
दोनों में सिर्फ मुद्दे का चमक और दमक है आपको 2014 की घटना की ओर ले जाता हूं उस समय देश में चारों ओर भ्रष्टाचार कालाबाजारी जैसा मुद्दा देश में छाया हुआ था और यह मुद्दा से देश पूरा छुब्ध था और सरकार परिवर्तित करना चाहता था और देश को सिर्फ एक नए चेहरा का जरूरत था क्यों जो कि यह कालाबाजारी और भ्रष्टाचार को खत्म कर सके तो ऐसे में एक चेहरा नजर आया वह था मोदी और भ्रष्टाचार और कालाबाजारी का मुद्दा ही एक तरह से चमक है जिसके सवारी करके मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए अब बात करते हैं 2017 की 2017 में वहीं मोदी जी जब अनेकों जगह जाकर प्रचार करते हैं अपनी व्यथा को भी जनता के सामने प्रकट करते हैं लेकिन फिर भी जनता उस पर इतना विश्वास नहीं कर रहे हैं क्योंकि अब इससे भी धीरे-धीरे छुब्ध हो गए हैं क्षुब्ध होने का एक ही कारण है कि उसका जो विश्वास था उतना पूरा नहीं हो पाया इसलिए मोदी जी कोई भी भावनात्मक बात बोले जनता उसे स्वीकार ने के लिए तैयार नहीं है और इसका नजारा आपको शायद गुजरात में देखने के लिए मिला होगा अब बात करते हैं राहुल जी की जब 2014 में नए चेहरे की तलाश में देश था और नया चेहरा के रूप में मोदी मिल गया तो विपक्ष में मोदी ही था और अनेक तरह से अपना वक्तव्य आप को दिए और जनता को लगा अरे मोदी में तो करिश्मा है मोदी में तो चमक है लेकिन उसमें चमक नहीं था ऐसा मुद्दा था और जनता उसको हटाना चाहते थे अब बात राहुल जी की आज वर्तमान परिस्थिति में देश की जनता कि एक ही सोच है रोजगार की कमी है और इसको पूरा कौन करे तो इससे तो सरकार हैं उसके प्रति रोष तो जरूर है लेकिन उतना नहीं जितना रहना चाहिए फिर भी मुद्दा मुद्दा होता है उस मुद्दा की सवारी आज राहुल जी कर रहे हैं तो लोग आज कहते हैं राहुल में दमक हैं जबकि ऐसा नहीं चाहे चमक हो चाहे दमक हो वह सिर्फ मुद्दा में होता है उस तरह का विश्लेषण में में होता है और उस सिचुएशन को जो भली भांति चला लेते हैं उसका सवारी कर लेते हैं तो वह उसका गुण ले बैठते हैं और उसी को कहा जाता है कि उसमें वह चमक है या वो दमक है जबकि असल बात यह है ना ही मोदी में चमक है ना ही राहुल में दमक है यह तो सोच सोच का फर्क है असली तो मुद्दे का बात है।
और वर्तमान परिस्थिति में अनेकों के मुंह पर जुबान पर यही रहता है राहुल में दमक हैं
लेकिन आप लोगों को तथ्य के आधार पर समझा देने का प्रयास करूंगा कि ना ही मोदी में चमक है और ना ही राहुल में कोई दमक है
दोनों में सिर्फ मुद्दे का चमक और दमक है आपको 2014 की घटना की ओर ले जाता हूं उस समय देश में चारों ओर भ्रष्टाचार कालाबाजारी जैसा मुद्दा देश में छाया हुआ था और यह मुद्दा से देश पूरा छुब्ध था और सरकार परिवर्तित करना चाहता था और देश को सिर्फ एक नए चेहरा का जरूरत था क्यों जो कि यह कालाबाजारी और भ्रष्टाचार को खत्म कर सके तो ऐसे में एक चेहरा नजर आया वह था मोदी और भ्रष्टाचार और कालाबाजारी का मुद्दा ही एक तरह से चमक है जिसके सवारी करके मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए अब बात करते हैं 2017 की 2017 में वहीं मोदी जी जब अनेकों जगह जाकर प्रचार करते हैं अपनी व्यथा को भी जनता के सामने प्रकट करते हैं लेकिन फिर भी जनता उस पर इतना विश्वास नहीं कर रहे हैं क्योंकि अब इससे भी धीरे-धीरे छुब्ध हो गए हैं क्षुब्ध होने का एक ही कारण है कि उसका जो विश्वास था उतना पूरा नहीं हो पाया इसलिए मोदी जी कोई भी भावनात्मक बात बोले जनता उसे स्वीकार ने के लिए तैयार नहीं है और इसका नजारा आपको शायद गुजरात में देखने के लिए मिला होगा अब बात करते हैं राहुल जी की जब 2014 में नए चेहरे की तलाश में देश था और नया चेहरा के रूप में मोदी मिल गया तो विपक्ष में मोदी ही था और अनेक तरह से अपना वक्तव्य आप को दिए और जनता को लगा अरे मोदी में तो करिश्मा है मोदी में तो चमक है लेकिन उसमें चमक नहीं था ऐसा मुद्दा था और जनता उसको हटाना चाहते थे अब बात राहुल जी की आज वर्तमान परिस्थिति में देश की जनता कि एक ही सोच है रोजगार की कमी है और इसको पूरा कौन करे तो इससे तो सरकार हैं उसके प्रति रोष तो जरूर है लेकिन उतना नहीं जितना रहना चाहिए फिर भी मुद्दा मुद्दा होता है उस मुद्दा की सवारी आज राहुल जी कर रहे हैं तो लोग आज कहते हैं राहुल में दमक हैं जबकि ऐसा नहीं चाहे चमक हो चाहे दमक हो वह सिर्फ मुद्दा में होता है उस तरह का विश्लेषण में में होता है और उस सिचुएशन को जो भली भांति चला लेते हैं उसका सवारी कर लेते हैं तो वह उसका गुण ले बैठते हैं और उसी को कहा जाता है कि उसमें वह चमक है या वो दमक है जबकि असल बात यह है ना ही मोदी में चमक है ना ही राहुल में दमक है यह तो सोच सोच का फर्क है असली तो मुद्दे का बात है।
जी
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