मनवा बिषय के व्यापारी
करे अहंकार की सावारी
हर वक्त घूमे दुनियादारी
समझते यही जमींदारी।। 1
मन पर नहीं कोई पहरेदारी
बाहर बात करता समझदारी
समझाता पूरा दुनिया सारी
नीति का नहीं खबरदारी।। 2
यह दुनिया प्रलयंकारी
न ही किसी की जागीरदारी
बाड़ी बाड़ी से जाना जारी
चेत करो अब अहंकारी।।3
सर पर पाप का पिटायी
मन में कतरनी धार दारी
परपंच का बहे बयारी
नहीं चेत रहा यह अहंकारी।।4
झटपट चलो सद्गुरु की शरण
प्रभु साधना में हो जाओ मगन
मन से हटेगा परपंच की बयारी
मोक्ष मिलेगा मिलेगा मुरारी।।5
करे अहंकार की सावारी
हर वक्त घूमे दुनियादारी
समझते यही जमींदारी।। 1
मन पर नहीं कोई पहरेदारी
बाहर बात करता समझदारी
समझाता पूरा दुनिया सारी
नीति का नहीं खबरदारी।। 2
यह दुनिया प्रलयंकारी
न ही किसी की जागीरदारी
बाड़ी बाड़ी से जाना जारी
चेत करो अब अहंकारी।।3
सर पर पाप का पिटायी
मन में कतरनी धार दारी
परपंच का बहे बयारी
नहीं चेत रहा यह अहंकारी।।4
झटपट चलो सद्गुरु की शरण
प्रभु साधना में हो जाओ मगन
मन से हटेगा परपंच की बयारी
मोक्ष मिलेगा मिलेगा मुरारी।।5
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