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रविवार, 28 जुलाई 2019

बाह्य प्राणायाम कैसे करें

🧘‍♂️भारत की इस योग विशाल परंपरा को पूरा दुनिया ने पूरा विश्व ने माना लेकिन आज हम लोग इसी योग को छोड़ कर के हताश निराश और अस्वस्थ बैठे हैं दुनिया ने इस योग का लाभ उठा कर के बहुत आगे बढ़ चुके हैं और अनेकों तरह का उपचार की तरीका जान गए हैं और वह अनेकों तरह से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं लेकिन आज हम अपने ही धन को खो बैठे हैं इसलिए आज हम लोगों को इसी योग की ओर मुड़ना होगा अपना इसी योग को अपनाना होगा तभी जाकर के स्वस्थ रह सकते हैं और समाज को भी स्वस्थ रख सकते हैं अगर घर स्वस्थ होगा अगर समाज स्वस्थ होगा तो देश जरूर ही स्वस्थ होगा अगर देश स्वस्थ होगा तो सबका जीवन सुखमय में होगा और दुनिया फिर यहां का सीख ले कर के आगे बढ़ेगा इसलिए आइए आज आप लोग के सामने एक प्राणायाम बताने जा रहा हूं 👉 जिसका नाम है वाह्य प्राणायाम 👉वाह्य प्राणायाम कैसे करें? 👉 सबसे पहले आपको जो अच्छा लगता है उस आसन में बैठ जाइए या तो पद्मासन या सुखासन में पहले बैठ जाइए 👉 उसके बाद श्वास को एक ही बार में बाहर निकाल दें 👉 श्वास बाहर निकाल कर रोक दें गुदा मार्ग अथवा मलद्वार को ऊपर की ओर खींचे इसे ही कहते हैं मूलबंध 👉मूलबंध के बाद उद्यानबंध लगाएंगे अर्थात पेट को पीठ से सटाने की कोशिश करेंगे और इसी को कहते हैं उद्यानबंध 👉उद्यानबंध के बाद जालंधर बंध लगाएंगे अर्थात ठोड़ी को थोड़ा झुकाते हुए कंठ कूप में लगाने को जालंधर बंध कहते हैं 👉जालंधर बंध के बाद कुछ देर इसी अवस्था में रहेंगे फिर जब सांस लेने की इच्छा हो तब बंधो को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस को अंदर भरते हैं 👉फिर श्वास भीतर ले करके उसे बिना रुके हैं पुनः पूर्वक स्वसन क्रिया बाहर स्वसन क्रिया द्वारा श्वास को बाहर निकाल देंगे 👉 और यह क्रिया 5 से 7 बार कर सकते हैं 👉 लेकिन श्वास बाहर निकालते समय यह हमेशा चिंतन करते रहे कि हमारे शरीर से समस्त रोग विकार निकल रहा है 🧘‍♂️ सावधानी 👉इसे गर्भवती महिला जो महिला मासिक धर्म में हो एवं जिसका ऑपरेशन 6 महीना के भीतर हुआ हो वह इसे कदापि नहीं करें इससे उसको हानि हो सकता है इसलिए वह वाह्य प्राणायाम नहीं करें तो बहुत अच्छा होगा 🧘‍♂️लाभ:-- 👉यह हानि रहित प्राणायाम है। 👉 इससे मन की चंचलता दूर होती है। 👉 जब साग्नि प्रदीप्त होती है उदर रोग में लाभ होता है। 👉 बुद्धि सूक्ष्म और तीव्र होती है। 👉वीर्य का उर्ध्वगति करके स्वप्नदोष शीघ्रपतन आदि धातु विकार की निवृत्ति करता है 👉वह्य प्राणायाम करने से पेट के सभी अवयवों पर विशेष बल पड़ता है 👉तथा पेट में जो भी ग्रस्त भाग हल्का दर्द का अनुभव होता है 👉 पेट को विश्राम और आरोग देने के लिए त्रि बंद पूर्वक यह प्राणायाम करना चाहिए।

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