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रविवार, 20 अक्तूबर 2019

ऊंगलियों के लिए आसन भाग 2

आज हम लोग मुद्रा में और भी कुछ जानेंगे इससे पहले हम लोग वायु मुद्रा या ध्यान मुद्रा के बारे में जान चुके हैं आज का जो मुद्रा है वह मुद्रा है तीसरा वाला और उसका नाम है शून्य मुद्रा शून्य मुद्रा कैसे करते हैं मध्यमा उंगली आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करती है इसको अंगूठा के मूल में लगाकर अंगूठे से हल्का दबाकर रखते हैं शेष उंगलियां सीधी होनी चाहिए लाभ :--- 1.इस मुद्रा से कान का बहना कान में दर्द बहरापन तथा कम सुनाई देना आदि रोग दीर्घकाल तक कम से कम प्रतिदिन एक घंटा करने से दूर हो जाते हैं 2.अस्थियों की कमजोरी तथा हृदय रोग ठीक होते हैं 3. मसूड़ों की पकड़ मजबूत होती है 4. गले के रोग में लाभ होता है और थायराइड रोग में भी लाभ होता है चौथा -----------------:पृथ्वी मुद्रा:--------------- पृथ्वी मुद्रा कैसे करें विधि :- अनामिका और अंगूठा के आगे वाले भाग को मिलाकर रखने तथा शेष तीन उंगलियों को सीधा करने से यह पृथ्वी मुद्रा बनती है लाभ :- 1.इसके निरंतर अभ्यास से शरीक दुर्बलता भाड़ की अल्पता तथा मोटापा आदि रोग दूर होते हैं 2.यह मुद्रा पाचन शक्ति ठीक करती है 3.जीवन शक्ति एवं सात्विक गुणों का विकास करती है 4.विटामिनों की कमी को दूर करती है 5. शरीर में स्फूर्ति कांति और तेजस्विता आती है यह आसन या यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है

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