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रविवार, 19 जनवरी 2020

बजरंगबली अतुलित बलधामा है

 बजरंगबली अतुलित बल धामा है यह कैसे हुआ उसी के बारे में हम लोग जानेंगे कि बजरंगबली जो है अंजनी के पुत्र केसरी के लाला और भगवान सूर्यदेव का शिष्य है भगवान सूर्य देव के पास जब बजरंगबली शीश के रूप में शिक्षा ग्रहण करने गए तो वहां पर शिक्षा देने के बाद जब महत्वपूर्ण शिक्षा के बाड़ी आया तो उन्होंने अष्ट सिद्धि का चर्चा किया और अष्ट सिद्धि कैसे प्राप्त हो इसके लिए उन्होंने माता लक्ष्मी के पास इस ज्ञान के बारे में जानकारी  के लिए गया तो माता ने अष्ट सिद्धि के लिए पहला रास्ता जो बताया वह रास्ता है आगे तुम जाओ और यहां से अष्ट सिद्धि का पहला सिद्धि प्रारंभ होता है और बजरंगबली जैसे ही आगे जाते हैं तो एकदम वीरान जंगल नजर आता है और उस वीरान जंगल में चलते चलते जब कुछ दूर जाते हैं तो बजरंगबली सोचने लगते हैं कि मैं किस वीरान जंगल में आ गया हूं कहां पर स्थित सिद्धि का पहला रास्ता है कैसे जाऊं यही सब बात सोचकर वह जंगल आगे बढ़ता जा रहा था जब बजरंगबली यही सोचते हुए आगे बढ़ रहे थे तब उसी क्रम में बजरंगबली को एक विरहन की आवाज सुनाई दिया बजरंगबली ने उस बिरहन की आवाज को रखने लगा कि किधर से यह आवाज आ रही है और उस ओर बढ़ते जा रहा था और जैसे ही उस और बढ़ते जा रहा था तो विरान भागते भागते रोते हुए जंगल की तरफ भाग रहे थे जब उसके पास जा रहे थे तो बजरंगबली ने कहा कि माता तुम क्यों रोते हुए भागे जा रहे हैं बजरंगबली ने कहा कि माते रुको अब तुम्हारे कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है वह फिर भी रो रही थी डर के मारे बेहोश होकर गिर पड़ी जब पुनः उसको होश आया तो कहा कि हमको ब्रह्मराक्षस मार देगा क्योंकि मैं उसके चंगुल से भाग कर आया हूं ब्रह्मराक्षस का एक नियम है वह कुमारी कन्या से भोग करता है और उससे उसका शक्ति बढ़ते जा रहा है और जो भी भागने की कोशिश करता है उसको मार देता है और इस तरह कितना का भोग करके मार दिए हैं और उसी चंगुल से मैं भी भाग कर आया हूं और भागी रहा हूं मेरे पीछे वह आ रहा है अब मैं मैं मारी जाऊंगी और मुझे मार ही देगा मैं,मैं जीना चाहती हूं मैं जीना चाहती हूं मुझे कोई तो बचाओ मुझे कोई तो बचाओ तो बजरंगबली  ने कहा कोई भी आने आएगा कुछ नहीं कर पाएगा और जैसे ही ऐसा बोलते और उसके आंसू बहने लगता और वह खूब जोर जोर से रोने लगती है तो बजरंगबली ने कहा कि देखते हैं कौन आता है और कुछ देर के बाद ही वहां पर ब्रह्मराक्षस आता है और कहता है कि तुम मेरे चंगुल से भाग आई है आज तुम को नहीं छोडूंगा पहले मैं अपना भोग करूंगा और उसके बाद मैं यहीं पर मार दूंगा और तुम्हारे साथ शादी भी करूंगा और उसे पहले भोग करके ऐसा कहकर जैसे ही उसके पास न फटने का कोशिश कर रहा था बजरंगबली ने उसके पेट में गदा मारते हैं वह गिर पड़ते हैं फिर बजरंगबली और राक्षस दोनों में लड़ाई शुरू हो जाता है और लड़ाई शुरू होने पर छल से बजरंगबली को मूर्छित करके भागते हैं उस कन्या को लेकर के और जैसे ही उस कन्या को ले करके अपने महल में जाते हैं और उसे आप शादी करेंगे बस वहां पर तक्षण है बजरंगबली जाकर के छुड़ाते हैं और खुद पर युद्ध में परास्त करके मार देते हैं और फिर जीवित हो जाता है तब फिर अपने योग बल से उसको दो भाग में चीर देते हैं और कर देते हैं उसकी पत्नी भी पतिवर्ता थी उन्होंने भी देवी का वंदना करके जीवित करने वाला शक्ति लेकर आ गया और तब तक में बजरंगबली माता काली का पूजा करने लग गए उसके साथ वह देवी भी करने लग गई जिसको ब्रह्मराक्षस लेकर भागा था माता काली भी खुश हो गई तो जैसे ही ब्रह्मराक्षस जीवित होने वाला था उस को जलाकर राख कर दिया और इस प्रकार उस देवी को दुख से निवृत्ति दिलाई और सुख पहुंचाई देवी ने आशीर्वाद दिया दुखहर्ता सुख देने वाला है माता लक्ष्मी के पास वह देवी प्रकट होती है और कहती है कि यह मेरा बहुत सेवा किया और मेरे सारे कष्ट को हर लिए मेरे सभी परीक्षा में पास हो गए हैं और मैं पहला शक्ति इसको देता हूं और माता लक्ष्मी ने भी कहा कि मैं भी इसको यही पात्र समझ रहा हूं और इसी तरह से ऑटो सिद्धि प्राप्त करेंगे यही मेरी कामना है और यही मेरा आशीर्वाद भी है।

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