दर परत दर हर बात बताता हूं
लड़की की ज़िंदगानी सुनाता हूं
दर परत दर हर बात बताता हूं।।1।।
सुनो बेटी जब से जन्म लेती है
माँ दादी की आँखे लाल रहती है
एक ही आस क्यों लगाये रहते हैं
बेटा से जीवन में मुक्ति मिलते हैं।।2।।
बेटी से ज्यादा बेटा के पढाई पर
पानी की तरह रूपये खर्च करते हैं
बेटी दिन रात काम भी करती
फिर भी बेटी ही आगे रहती हैं।।3।।
पिता स्वार्थ में पढी लाडली को
मूर्ख लड़के से जब व्याह दिया
सच पूछो उस भोली जीवन को
जीते जी बर्बाद ही कर दिया ।।4।।
जब वह अपने ससुराल जाती है
ससुराल वाले बहुत ही तड़पाते है,
दहेज के लिए ढेरों बात सहती है
दिन रात हमेशा ही रोती रहती है ।।5।।
बेटी माँ बाप को फोन करती हैं
मां रात जाग कर रोती रहती हैं,
मेरी गलती का दंड बेटी सहती है
अपने किये पर पछतावा करती हैं।।6।।
अपनी आंखों देखी सुनाता हूं
दर परत दर हर बात बताता हूं ।।
दिन-रात सास ससुर पति के
ताना से बेचैन रहा करती है।
जब अशिक्षित पति के पाला
पति पढाई का मखोल उड़ाते हैं
दिल चुभने वाली बात दोहराते है
चौका,चूल्हा बर्तन तो करवाते हैं
बैल के लिए घास लेने भिजवाते हैं।।8।।
पति कब क्या कैसे गाली बक देंगे
सोच सोच जिया धबराते रहते है,
कितना भी सोच समझ कर चले
मौका मिले मारते-पीटते रहते हैं।।9।।
मंजर से तरूण दिल कौंध जाता हैं
जब सब बात,परत सामने आता है
उस पढी हुई बेटी को देख तरस आता है
✍✍✍तरुण यादव रघुनियां
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