सज्जनों आप लोगों को आज भाग 4 का
पूरा पूरा सुनाने जा रहा हूं तो प्रारंभ है
:-
तात्पर्य:- पापियों का भगवान मन है
और पुण्यात्मा के भगवान परमात्मा है ।
इन दो प्रकार के भगवान के
वर्णित दो प्रकार की वस्तुओं को अर्पण कर
दो विधियों से अर्चन वंदन करके दो प्रकार के
भक्त दो प्रकार के फल को प्राप्त करते हैं।
मन की उपासना करने वाले पापियों को
फल के रूप में बंधन और दुख प्राप्त होते हैं ।
और परमात्मा की उपासना करने वाले
पुण्य आत्मा को फल के रूप में मोक्ष और शाश्वत सुख मिलते हैं ।
मेरी मान्यता इस प्रकार है
- एक बार झूठ बोलने से 40 दिन के
भजन का रस सूख जाता है ।
- एक बार चोरी करने से 10000 गोदान का पुण्य समाप्त हो जाता है।
- एक बार नशा सेवन करने से 40 किलो खून की पवित्रता नष्ट हो जाती है।
- एक बार किसी प्राणी की हिंसा करने से एक कल्प के लिए स्वर्ग का दरवाजा बंद हो जाता है
- एक बार व्यभिचार करने से वर्षों किया हुआ धर्म क्षय हो जाता है
- इस प्रकार जो निरंतर दुराचार में लीन है उनके पाप का निस्तार कब होगा और वह किस प्रकार से होगा तथा समग्र पाप से निरमुक्त होकर वह कब परम कल्याण का भागी बनेगा पता नहीं
- लेकिन यह अकाट्य है
- झूठ मन को मलिन कर देने वाला पाप है
- चोरी शीलता को नष्ट कर देने वाला महापाप है
- नशा बुद्धि को नष्ट कर देने वाला महापाप है
- हिंसा चित्त की शांति को नष्ट कर देने वाला महापाप है
- व्यभिचार भक्ति को नष्ट कर देने वाला महापाप है।
- यह सभी पाप सत्कर्म को नष्ट कर देने वाले हैं
- सुभाषिती कार के कथन है
- जीवन में कभी झूठ नहीं बोलने से सदैव शांति की प्राप्ति होती है ।
- जीवन में कभी चोरी नहीं करने से इसी शरीर से स्वर्ग की प्राप्ति होती है ।
- जीवन में कभी नशा सेवन नहीं करने से सदेह सुकीर्ति प्राप्त होती है ।
- जीवन में हिंसा नहीं करने से सद्भक्ति प्राप्त होती है ।
- ठीक इसी प्रकार जीवन में कभी व्यविचार नहीं करने से मुक्ति प्राप्त होती है।
- और सदैव सदाचार का पालन करने से शाश्वत सुख प्राप्त होता है
- पुनः मैं पूर्व के कल्याण पुरुषों की तत्व संबंधी वाणीयों को आप पाठकों के समक्ष परोसा हूं जो इस प्रकार है
- झूठ बोलने से जीभ, मुंह और मन का रोग होता है।
- चोरी करने से हाथ पर और चिंता का रोग होता है।
- नशा सेवन करने से गला छाती और दिमाग का रोग होता है।
- हिंसा करने से पेट पीठ और अहंकार का रोग होता है ।
- व्यभिचार करने से गुदा लिंग हृदय और मलिन वासना का रोग होता है और
- सदाचार का पालन नहीं करने से सब तरह के रोग होते हैं ।
- झूठ नहीं बोलने से धर्म महान होता है।
- चोरी नहीं करने से कर्म महान होता है ।
- नशा नहीं खाने पीने से समाज महान होता है
- हिंसा नहीं करने से दिल महान होता है
- व्यभिचार नहीं करने से चरित्र महान होता है और
- पंच पाप नहीं करने से राष्ट्र महान होता है
- झूठ बोलने से ईश्वर अप्रसन्न होते हैं
- चोरी करने से कुलदेवता अप्रसन्न होते हैं।
- नशा सेवन करने से ग्राम देवता अप्रसन्न होते हैं ।
- हिंसा करने से साडे पितर नाखुश होते हैं ।
- व्यभिचार करने से अंतरात्मा नाखुश होती है
- और वर्णित पंच पाप से करने पर सब नाखुश हो जाते हैं
- झूठ नहीं बोलने से ईश्वरीय शक्ति की प्राप्ति होती है।
- चोरी नहीं करने से दिव्य शक्ति प्राप्त होती है।
- नशा सेवन नहीं करने से शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है ।
- हिंसा नहीं करने से पितरों की शक्ति प्राप्त होती है।
- व्यभिचार नहीं करने से आत्म शक्ति प्राप्त होती है।
- झूठ नहीं बोलने से समाज में आदर होता है
- चोरी नहीं करने से संबंध में आदर होता है।
- नशा सेवन नहीं करने से घर में आदर होता है।
- हिंसा नहीं करने से देव समाज में आदर होता है ।
- व्यभिचार नहीं करने से धर्मराज आदर करता है वर्णित पंच पाप के नहीं करने से लोक परलोक सब जगह आदर होता है
- हमारे आराध्य देव कहा करते थे
- जो सदाचार का पालन करेगा वह पूज्य हो जाएगा
- झूठ नहीं बोलने से वाणी में ताकत आती है
- चोरी नहीं करने से धन में ताकत आती है
- नशा सेवन नहीं करने से स्वास्थ्य में ताकत आती है
- हिंसा नहीं करने से दिल में ताकत आती है
- व्यभिचार नहीं करने से दिमाग में ताकत आती है
- और वर्णित पंच पाप के परित्याग कर देने से ईश्वर भजन में ताकत आती है।
- झूठ नहीं बोलने से धर्म बढ़ता है
- चोरी नहीं करने से सुकर्म बढ़ता है
- नशा सेवन नहीं करने से आरोग्य बढ़ता है
- हिंसा नहीं करने से निर्भयता बढ़ती है
- व्यभिचार नहीं करने से आयु से बढ़ता है और
- वर्णित पंच बाप के नहीं करने से समस्त सद्गुण बढ़ते हैं।।
- झूठ बोलने से धर्म मर जाता है
- चोरी करने से कर्म मर जाता है।
- नशा सेवन करने से स्वास्थ्य मर जाता है।
- हिंसा करने से दया मर जाती है।
- व्यभिचार करने से चरित्र मर जाता है और
- वर्णित अपकर्म करने से भजन मर जाता है
- झूठ बोलने से विश्वास नष्ट हो जाता है
- चोरी करने से विवेक नष्ट हो जाता है
- नशा सेवन करने से संकल्प नष्ट हो जाता है
- हिंसा करने से करुणा नष्ट हो जाती है।
- व्यभिचार करने से कृति नष्ट हो जाती है और वर्णित पंच पाप करने से कल्याण का मार्ग नष्ट हो जाता है
- झूठ :-प्रकट पाप है
- चोरी:- अप्रकट पाप है
- नशा:- घटक पाप है ।
- हिंसा :-पटक पाप है ।
- व्यभिचार:- विकट पाप है।
- सत्य बोलने से झूठ नष्ट होता है
- लोभ नहीं करने से चोरी नष्ट होती है
- संत संग से नशा नष्ट होता है ।
- भक्ति करने से हिंसा नष्ट होती है।
- सद्गुरु की निष्काम सेवा करने से व्यभिचार नष्ट होता है
- और सदाचार के पालन करने से अर्थात पंच पापों का परित्याग करने से साडे दूर विकार नष्ट होते हैं ।
- झूठ का पाप नरक की सजा सुनाता है।
- चोरी का पाप यमदूत को बुलाता है।
- नशा का पाप यमफास में फंसाता है ।
- हिंसा का पाप मुकदर खिलाता है
- व्यभिचार का पाप नरक में धकेलता है और वर्णित पंच पाप मिलकर वैतरणी में गोता लगाते हैं ।।
- सत्य:- सन्मार्ग दिखाता है
- अस्तेय: -दिग्भ्रम मिटाता है
- अहिंसा :-सद्भाव जगाती है
- अमद्य:- सत संकल्प कराता है ।
- ब्रह्मचर्य :-आत्म उत्थान कराता है और
- सदाचार :-सत शांति दिलाता है ।
- सत्य :-वाणी को निर्मल बनाता है।
- अस्तेय:- विवेक को निर्मल बनाता है
- अहिंसा :-हृदय को निर्मल बनाती है ।
- अमद्य:- बुद्धि को निर्मल बनाता है।
- ब्रह्मचर्य :-आत्मा को निर्मल बनाता है और सदाचार परम निर्मल परमात्मा से मिलाता है ।
- झूठ :-वाणी को मलिन बनाता है
- चोरी:- विवेक को मलिन बनाती है।
- नशा:- बुद्धि को मलिन बनाता है।
- हिंसा:- चित्र को मलिन बनाती है।
- व्यभिचार:- मन को मलिन बनाता है और वर्णित पंच पाप आत्मा को मलिन बनाते हैं।
- झूठ बोलना :-वाणी का अपराध है ।
- चोरी करना:- विवेक का अपराध है।
- नशा सेवन :-बौद्धिक अपराध है।
- हिंसा करनी:- मानसिक अपराध है।
- व्यभिचार करना :-चारित्रिक अपराध है और सदाचार का पालन नहीं करना धार्मिक अपराध है।
- झूठ बोलने से वाणी का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- चोरी करने से कुल का प्रभाव समाप्त हो जाता है
- नशा करने से बुद्धि का प्रभाव समाप्त हो जाता है
- हिंसा करने से शांति का प्रभाव समाप्त हो जाता है
- व्यभिचार करने से व्यक्ति का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- और सदाचार का पालन नहीं करने से भक्ति का प्रभाव समाप्त हो जाता है
- असत्य भाषण के कारण युधिष्ठिर की फजीहत हुई
- चोरी के कारण रावण की दुर्दशा होगी
- नशा पान के कारण यदुवंशियों का नाश हुआ
- हिंसा के कारण कंस की दुर्गति हुई
- व्यभिचार के कारण इंद्र और चंद्र की हंसी हुई और एक सदाचार पालन नहीं करने के से सब की हंसी हुई
- छल के कारण शकुनि की दुर्गति हुई
- कपट के कारण कालनेमि और राहु की दुर्दशा हुई
- अभिमान के कारण दुर्योधन की अधोगति हुई
- काम के कारण कीचक की मरण गति हुई ।
- क्रोध के कारण परशुराम की हंसी हुई
- मोह के कारण धृतराष्ट्र की अवनति हुई
- ईर्ष्या के कारण अयोध्या में सब भई
- लोभ के कारण एक सर्वाजीत की जान गई
- और सदाचार का पालन नहीं करने से बड़े-बड़े धर्म ध्वज जिओ की धज्जियां उड़ गई
- झूठ त्याग से राजा हरिश्चंद्र का नाम जगत विख्यात हुआ
- चोरी त्याग से यज्ञ दंत पुत्र गुण निधि का नाम अमर हुआ
- नशा त्याग से बाबा नंद के घर भगवान आ गए
- हिंसा त्याग से रत्नाकर बाल्मीकि बन गए
- व्यभिचार त्याग से देवव्रत भीष्म आठ वसु में लीन हो गए और सदाचार पालन से श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान बन गए
- कहा जाता है
- झूठ एक महापाप है
- हिंसा एक महापाप है
- नशा एक महापाप है
- पर चोरी में तीनों महापाप है
- और व्यभिचार तो पांच महा पापों का सम्मिश्रण है।।।
- सज्जनों मेरा ऐसा विश्वास है अगर आप पूरा पूरा पढ़े होंगे तो आप जरूर ही संतुष्ट हुए होंगे और आप कमेंट बॉक्स में जरूर ही कमेंट करें और ब्लॉक को फॉलो भी अवश्य करें आप से यही अपेक्षा करते हैं
- ।।जय गुरु।।
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