✍✍✍स्वरचित ✍✍✍
गुरु बिना जीवन बेकार
तू जतन कर लो हजार।।
प्रभु ने किया उपकार
नर तन दी अबकी बार ।।1।।
माता गर्भ में किया पुकार
दया करो हे करूणावतार।
किये जब बहुत कोल करार
बाहर हो सब दिये बिसार।।2।।
सब बनेगा काल का आहार
कितना कर लो सोच विचार
समय रहते कर लो पुकार
गुरु नाम से होगा बेरापार ।।3।।
कलयुग में गुरु नाम आधार
कितने किये बेतरणी पार ।
पालन करते रहो सदाचार
बना रहेगा अपना संस्कार ।।4।।
समय नहीं करता है इंतज़ार
तु करता बुढापे का इंतजार
कब आ जाये यम का तार
जान लो जीवन का सार।।5।।
गुरु सुमिरण करो बारंबार
करेंगे वही भव सागर पार
इस दुनिया सदगुरू सहार
करेंगे आवागमन से पार।।6।।
सदगुरू मेंहीं ने बताया ज्ञान
एकाग्र हो किया अनुसंधान
जब तक हैं शरीर में प्राण
करो साधना नादानुशंधान।।7।।
करे साधना नादानुशंधान
खत्म होवे आवागमन जाम
यही हैं सब संतों का ज्ञान
इसके आगे फीका विज्ञान ।।8।।
तरुण करते बार बार प्रणाम
सदगुरू ले चलो सुखधाम
जहाँ न सतावें कोई काम
हर वक्त जपते गुरु का नाम ।।9।।
✍✍✍तरुण यादव रघुनियां ✍✍✍
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