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रविवार, 19 अप्रैल 2020

सदाचार भाग 2:स्वामी व्यासानंद

जिस आचार के अभाव से 
महा संयमी महा उदंड बन जाता है।
 जिस अचार के अभाव से 
महाव्रती महा दंभी बन जाताहैं ।
 जिस आचार के अभाव से 
महानिरूपद्रवी महाभोगी बन जाता है ।
जिस आचार के अभाव में महा सत्यवती महा झूठ बन जाता है ।
जिस आचार के अभाव में महा अहिंसक महा हिंसक बन जाता है ।
जिस आचार के अभाव में महा  अभक्षी महा सर्व भक्षी बन जाता है 
आदि
 कुल मिलाकर जिस आचार के अभाव में 
समग्र आचार अत्याचार का रूप धारण कर लेता है
 उसी को सदाचार कहते हैं ।
और जिस आचार के आचरण से पुरुष अत्यंत परिशुद्ध  एवं परिष्कृत होकर परमात्मा व्रत पवित्र हो जाता है।
 अर्थात परमात्मा ही हो जाता है।
 उसी को सदाचार कहते हैं ।
इसके ग्राह्या ग्राह्य पांच पांच पांच भेद है
 यथा
 ग्राह्य :-सत्य ,अस्तेय ,अप्रमत, अहिंसा और ब्रह्मचर्य ।
अग्राह्य:-
 झूठ ,चोरी ,नशा हिंसा और व्यभिचार  
 मेरे गुरुदेव ने आध्यात्मिक उत्थान कराने वाले 
जितने आचार है उनमें सदाचार को प्राथमिकता दी है।।
संसार  असत्य है ।
और संसार में जो कुछ भी इंद्रिय ग्राह्य पदार्थ है ।
सब झूठ है ।
अतः इसकी उपलब्धि के लिए सब तरह का
 अचार चल सकता है।
 परंतु सत्य स्वरूप परमात्मा की उपलब्धि 
और असत आचार के द्वारा कदापि नहीं हो सकती।

 क्योंकि असत आचार जीव को सत की ओर जाने से रोकता है ।
यह असत अचार अर्थात झूठ चोरी नशा हिंसा और व्यभिचार पंच पापों के सम्मेलन से होता है।
 इन्हीं पापों के अंदर दुनिया के सारे पाप समाए हुए हैं ।
और इन्हीं पापों का त्याग हो जाने से आदमी समस्त पापों से छुटकारा पा जाता है ।
इन्हीं पापों के समुदाय को असत आचार अर्थात कदाचार कहते हैं ।
और इन पापों के त्याग को ही यथार्थ में सदाचार अर्थात सत्य का अचार कहते हैं ।
इन पापों को करने से भगवान को कौन कहे उनसे भूत भी खुश नहीं हो सकते 
और इनके त्याग से दुनिया को कौन कहे 
दुनिया बनाने वाले भी प्रसन्न हो जाते हैं ।।
एक साधु घनीभूत जंगल में नंगे पांव घूमता है।
 नंगे बदन चलता है ,नंगे हाथ निर्भय पूर्वक कार्य संपन्न करता है ।
परंतु उस पर कोई वन्य जंतु आक्रमण नहीं करता है
 ना शेर खाता है ना हाथी चबाता है।
 ना भालू मारता है चिता डराता है ना पाता है।
 ना बिच्छू डंक मारता है ।।
दूसरी ओर शहर के साफ-सुथरे भवन में रहने वाला
 एक मच्छर से परेशान है
 एक खटमल से वैचेन है ,एक कनखजूरा उसे दुखी करता है ।
एक सांप और एक बिच्छू उसे खाने को दौड़ता है ।
बाघ सिंह दर्शन देकर ही उसके टट्टी पेशाब उतार देते हैं इसका आखिर क्या कारण है।
 दुष्ट चरित्र के व्यवहार पर आदमी को कौन कहे 
किसी निकृष्ट जीव को भी विश्वास नहीं है 
कि यह आदमी मेरे प्रति किस प्रकार का व्यवहार करेगा जबकि एक सत्चरित्र साधु के चरित्र पर अहिंसक को कौन कहे
 हिंसक जंतु भी भरोसा करता है कि यह मेरे साथ विश्वासघात नहीं कर सकता ।
मैंने सदाचारी संतो के विषय में पढ़ा है कि
 उनके पास हिंसक और अहिंसक दोनों जीव एक साथ रहते थे ।
उनमें एक दूसरे के प्रति भेदभाव नहीं था 
वे आपस में मैत्री भाव से रहते थे ।
कारण क्या था संत सदाचारी के सद्गुणी आबो हवा के अंदर दूराचरण की प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है।
 हिंसक वृत्ति नहीं रहती है ।
सुना है कि ब्रह्मर्षि देवराहा बाबा की सभा में कभी-कभी जंगल से एक बाघ आ जाता था
 लोग देखकर भागने लगते थे
 बाबा उन लोगों को ढांढस बंधाते हुए कहते थे 
बच्चा तुम लोग घबराओ नहीं 
 प्रसाद लेने के लिए आया है
 अभी तुरंत प्रसाद लेकर चला जाएगा
 वह बाघ बाबा से प्रसाद लेकर पुनः जंगल में चला जाता था।
 संत एकनाथ जी महाराज के सिर पर काला सांप आकर बैठ जाता था
 पर एकनाथजी उनको भगाते नहीं थे 
सांप अपने आप बिना नुकसान पहुंचाए
 चला जाता था ।
महर्षि रमण के शरीर पर बिच्छू चढ़ जाता था
 भक्त देखकर हाय हाय करने लग जाते थे पर 
भगवान रमन शरीर को हिलाते भी नहीं थे
 कि उसको गिरने से कष्ट हो जाएगा 
आगंतुक भक्त कहते -
भगवान शरीर पर बिच्छू चल रहा है 
भगवान कहते इसे चढ़ने दो 
अपने आप कभी उतर कर चला जाएगा
 हम लोग इनके मेहमान हैं 
इनके घर जंगल में आए हैं 
यह हमारे सत्कार के लिए आए हैं
 इन्हें सत्कार करने दो 
इनको भगाना नियम के खिलाफ हैं 
इन्हीं के घर में हम लोग हैं 
और इन्हीं को भगा दें कितनी खराब बात है
 इनको क्या पता कि हम दीवार पर चल रहे हैं 
या किसी के शरीर पर चल रहे हैं
 इसी तरह कभी कभार  उनके पास कोई सांप आता
 कोई तेंदुआ आदि 
जानवर आते बंदर तो स्वजन ही थे 
पर वे कभी भी किसी को कुछ नहीं कहते थे ।
एक बार एक गिलहरी के ऊपर एक कुत्ता 
दौर परा गिलहरी चेचे करती हुई 
भागी जा रही थी 
भगवान ने सीढी से उतरते हुए यह दृश्य देख लिया
 उनके हाथ में एक पतली सी छड़ी थी 
उसको कुत्ता के सामने फेंक दिया 
छड़ी के गिरने से कुत्ता रुक गया 
और गिलहरी पेड़ पर चढ़ गई
 उसकी जान बच गई ।
छड़ी फेंक देने से भगवान रमन सीढी पर  असंतुलित हो गए ।
और डगमगा कर सीढी पर से गिर गए
 शरीर के अनायास गिर जाने से 
उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई 
उनका सिर तबसे टेढ़ा दिखने लगा 
भक्तों ने हड्डी टूटने का कारण पूछा तो 
उन्होंने सहजता से सारी घटना बता दी 
भक्तों ने कहा भगवान एक छोटी सी गिलहरी को 
बचाने में आपने इतना बड़ा दुख 
अपने ऊपर ले लिया
 भगवान ने कहा देखो 
गिलहरी की जान जाने से हमें
 जितना दुख होता
 उतना दुख इस हड्डी के टूट जाने से नहीं है।
 एक बार कोई व्यक्ति रमन आश्रम में 
बेरहमी के साथ आम को तोड़ने लगा 
बुरी तरह प्रताड़ना से आमों की 
टहनियां पत्तियां गिरने लगी 
आवाज सुनकर भगवान रमन 
कुटिया से बाहर निकले
 उस व्यक्ति के निर्दयतापूर्ण प्रहार को देखकर
 भगवान हाहाकार करते हुए
 वृक्ष के पास जाकर उससे कहा
 किसने तुमको इस प्रकार की से
 आमों को तोड़ने के लिए कहा 
क्या इसके अंदर जीव नहीं है
 आज दिन से फिर कभी इस प्रकार से 
आमों को मत तोड़ना ।
इसी प्रकार एक और दिन कोई व्यक्ति
 धारदार फरसे से नारियल को काट काट कर
 गिरा रहा था ।
रमण महर्षि ने कहा -क्या तुम्हारे पास 
कोई छोटा सा औजार नहीं है 
जिसके हल्के प्रहार से नारियल टूट सके 
यदि तुम्हारे सिर पर कोई इस प्रकार प्रहार करेगा
 तो कैसा दुख होगा 
क्या इसकी जान की कोई कीमत नहीं है 
फिर कभी इस तरह नारियल नहीं तोड़ना
जिस संत के हृदय में इतनी अहिंसा की भावना है 
क्या उनके आबो हवा के अभ्यंतर रहने वाला
 का मन मलीन हो सकता है कदापि नहीं

 मेरे गुरुदेव के शरीर काल में 
हिरण कुत्ता बिल्ली और तोता आश्रम में 
एक साथ एक जगह मिलकर रहते थे
 बिल्ली के थन का दूध कुत्ते का बच्चा पी लेता था
 और कुत्ते के थन का दूध बिल्ली का बच्चा भी पी लेता था ।
किसी को किसी का भय नहीं था 
कितनी बार लोगों ने बिल्ली के सिर पर
 तोते को बैठा हुआ देखा है ।
उन दिनों समस्त प्राणियों के अंदर घोर 
अहिंसात्मक संतो की सदगुणी आभा का
 असर था।
 वर्णित 1-1 पाप का परित्याग खुद को 
तथा समस्त समाज को कितनी बड़ी निर्भयता का
 दान देता है कहा नहीं जा सकता है।
 साथ ही सत्चरित्र व्यक्ति के सत चरित्र पूर्ण 
व्यवहार पर प्राणी मात्र को कितना विश्वास
 या भरोसा होता है यह भी अद्भुत विषय है ।
पाप को संस्कृत में अध कहा जाता है 
और भागवत में एक आध नामक असुर की कथा 
भी है
 वह आदमी को पूरा का पूरा निगल जाता था
 उसके मुंह में जाने से एकमात्र भगवान
 श्री कृष्ण ही बच पाए थे
 बाकी सभी ग्वाल बाल उसके मुंह में चले गए थे 
मेरे लिखने का मतलब है कि पाप करते समय तो 
कुछ पता नहीं लगता एक एक पाप राक्षस के
 समान महान भयंकर होता है ।
जो एक पाप झूठ बोलता है 
वह आदमी समझे कि मैंने अपने संहार के लिए
 अपने घर में एक और राक्षस को जन्म दे दिया है 
और जो झूठ के साथ साथ दूसरा पाप चोरी भी 
करता है तो वह व्यक्ति यह निश्चय कर ले
 कि मैंने अपने विनाश हेतु घर में दो और राक्षस
 को बसा लिया है ।
जो झूठ और चोरी के साथ-साथ नशाओं का भी 
सेवन करता है ।
वह निश्चित समझे कि मैंने अपने सत्यानाश के 
लिए घर में तीन राक्षसों को बसा लिया है।
 इसी प्रकार झूठ चोरी नशा के साथ साथ हिंसा
 भी करता है 
अर्थात मत्स्य मांस का भक्षण भी करता है 
वह समझे कि मैंने अपने भवन में अपने ही 
संहार के लिए भयानक राक्षस को बैठा लिया है।
 और जो झूठ चोरी नशा हिंसा के साथ साथ
 व्यभिचार को भी इन में सम्मिलित कर लिया है ।
वह मनुष्य समझे कि मैंने अपने घर में अपना ही
 सर्वनाश हेतु  5 भयंकर दैत्य को खड़ा कर लिया है
 यह पांच महापाप अपना ही सर्वनाश हेतु 
5 भयंकर दैत्य को खड़ा कर लिया है ।
यह पांचो महापाप पापआत्मा पुरुष को 
जड़ समेत संहार करने में सक्षम है ।
अब इनके संघार करने से कोई नहीं बचा सकेगा
 तभी तो वह भजन पूजन करेगा 
जब बचेगा ही नहीं तो भजन पूजन क्या करेगा
 यह पांचो पाप भजन करने से पहले ही पापी को 
यमराज के पास पहुंचा देते हैं ।
दुनिया में सही सलामत रहेगा तभी तो 
भगवान के पास जाएगा 
अन्य राक्षस तो एक ही बार मारता है 
पर पाप रूपी राक्षस तो बारंबार मारता है 
यह आदमी को जिंदा भूत बना कर छोड़ देता है 
जब आदमी की शक्ल में रहेगा 
तभी तो भजन पूजन करेगा 
एक व्यक्ति ने इस प्रसंग को सुनकर मुझसे पूछा -
आप कहते हैं कि पाप राक्षस है 
तो यह आदमी को खाता कहां है ?
क्योंकि पापी आदमी तो धर्मात्मा से भी
 चौड़े हो कर चलता फिरता है ।
मैंने कहा -देखो शरीर धारी राक्षस जो होता था 
वह आदमी के शरीर मात्र को खाता था 
पर पाप रूपी राक्षस आदमी के समस्त सद्गुणों 
को खा जाता है ।
और सद्गुणों से रहित आदमी जीते जी 
मुर्दा के तुल्य होता है।।
 श्री सतगुरु महाराज की जय 
आदरणीय सत्संगी बंधु sadachar bhag 2 ko Pura Pura padh liye hain इनका अगला अंक भी भाग 3 आप लोगों के लिए लेकर आ रहा हूं तब तक अन्य सभी आर्टिकल को पढ़े और अपने आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाएं और अगर आपको इसमें जो भी बात अच्छी लगी तो आप कमेंट जरूर करें या कोई त्रुटि है तो भी कमेंट करें आपका इंतजार रहेगा

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