✍✍✍स्वरचित ✍✍✍✍
मैं अक्सर यही सोचता हूँ वो मुझे याद करती होगीयादें को याद कर कर रात कर देती तो होगी ।।
मैं हमेशा सोचता हूँ वो राह तो तकती होगी 
प्यारी गीत गुनगुनाकर गीत में खोयी तो होगी ।।
मैं कभी-कभी सोचता हूँ वो सपनों में खोयी होगी 
आंखें खुलने पर मैं कहाँ हूँ सोच रोयी तो होगी ।।
मैं हमेशा यही सोचता हूँ कि पंछी से दिल की बात कहती होगी 
पत्तियों पर हर याद को गजल का रूप देती तो होगी ।।
✍✍✍✍✍तरुण यादव रघुनियां ✍✍✍✍✍

  
  
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