बचपन से बुढ़ापा यूं गवाया जीवन को किया बर्बाद।।1।।
बहुत कोल करार पर पाया यह मानव तन
जिंदगी को क्षणिक सुख में बिताया,भूल गया प्रभु का भजन ।।2।।
काल के गाल से कहो कैसे बच पायेगा
यमराज के मुंगरी खाने से कहो तुझे कौन बचायेगा।।3।।
जब से तू जन्म लिया, संसार को माना राज
रे अभागे पंप पाप को करने से,कभी न आया बाज।।4।।
कहता योगानंद गर तरूण अवस्था से करता प्रभु से नेह।
जो दुःख भोगा हैं और भोगेगा, छुटकारा पाता मानव देह।।5।।
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