जिंदगी यूँ न बीत जाये ,प्रभू को यादकर यादकर।।1।।
प्रभु के चक्र से कोई नहीं बचा स्वीकार कर अहंकार ईर्ष्या द्वेष लोभ मोह का तिरस्कार कर तिरस्कार कर।।2।।
इस अनमोल जीवन को माया में ना विस्तार कर
जो पल बच गया है प्रभु का गुणगान कर गुणगान कर।।3।।
जितना मिला प्रभु का प्रसाद समझ स्वीकार कर
अपने हित के लिए औरों पर प्रहार कर प्रहार कर।।4।।
क्षणभंगुर जीवन पर कभी ना एतबार कर
यह दुनिया किसी का ना हुआ ना होगा पूरा विश्वास कर विश्वास कर।।5।।
जीवन को शतपथ पढ़ ले कर चल सदाचार को स्वीकार कर
मानव जीवन को सफल बना कर संसार का उद्धार कर उद्धार कर।।6।।
तरुण इस तरुणी के घमंड में पल भर ना समय बर्बाद कर
परमात्मा की भक्ति में लीन हो जीवन को उजाड़ कर गुजार कर।।7।।
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