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मंगलवार, 7 जुलाई 2020

जुदाई का गम

यह कविता को बहुत ही संवेदनशील होकर लिखा हूँ।
आज के दौर में जिस तरह प्रेमी प्रेमिका माँ बाप का कोई मान नहीं रखते हुए भाग जाते हैं। उन्हें दिलासा और हौसला के लिए थोड़ा प्रयास किया हूँ ।अब आप पढ़कर ही बता सकते हैं कि कितना सफल रहा ।।
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👇✍✍स्वरचित ✍✍
तुम मुझसे हो बहुत दूर
तेरी यादों से हूँ भरपूर ।
तुझसा नहीं किसी में नूर
कान सुनने तरस रहा जी हजूर।।1।।

तुझे याद करते करते सो जाता हूँ
सपनों में तेरे साथ खूब घूमता हूँ
आँखें खुलती मायूस हो जाता हूँ
तेरे बिना सूना सूना महसूस करता हूँ ।।2।।

तुम भी याद करती होगी
खाली खाली जीवन महसूस करती होगी
तुम भी कभी सोती कभी जागती
हर वक्त मेरा डीपी निहारती होगी ।।3।।

तुझे रोज करता हूँ मिस
कितना सहू जुदाई का टिस
चलो,लो करता हूँ प्रोमिस एज
तुम बनेगी मेरी मिसेज।।4।।

माँ बाप के इज्जत को बचाती हो
छुप कर मिलने से कतराती हो
मैं भी तो वही मानकर चलता हूँ
हकीकत कहने से डरता हूँ ।।5।।

माँ बाप के पाग को बचाओगी
सगाई के बाद वादा निभायेगी
थोड़ा और जुदाई का गम सह लूँगा
लेकिन तेरी मजबूरी में साथ दूँगा।।6।।
✍✍तरुण यादव रघुनियां ✍✍


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