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शनिवार, 8 अगस्त 2020

सतगुरु शरण में आया हूँ

सतगुरु शरण में आया हूँ माया में लिपटाया हूँ।
करना उद्धार हो जायेंगे भव सागर से नैया पार।।1।।


सतगुरू बहुत अभिमानी हूँ बहुत ही अज्ञानी हूँ ।
आया हूँ तेरा द्वार ,अब तो कर मेरा नैया पार।।2।।


आंख रहते अंधा हूँ, मोह के फांस में बंधा हूँ ।
सतगुरु दाता दयाल,कर देंगे जीवन उजियार।।3।।


काल के गाल में सामाया हूँ, बहुत ही धबराया हूँ।
सतगुरु तारणहार, कृपा कर करेंगे बैरा पार ।।4।।


पंच पाप का पापी हूँ,दुखों से अभिशापी हूँ ।
तरूण का एक गुहार,सतगुरु कर दो नैया पार।।5।।

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