जब से तेरी चक्कर लगा ऐसा कभी हुआ न था।।
प्यार मोहब्बत वाली बात मेरे लिए अजूबा न था
ये बात बिल्कुल सत्य है जिंदगी में महबूबा न था ।।
इश्क प्यार से भरी महफिल लेकिन जज्बा न था
नजर के तीर से घायल हुआ ऐसा दब दबा न था।।
आशिक को तन्हा देखकर मुझे कभी पछतावा न था
हवा तो बहुत लगा जिंदगी में लेकिन प्यार का पूरबा न था।।
~तरुण यादव रघुनियां
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