कह दिया कुछ कानों में।
जब से ये मोहब्बत वाली हवा चली
रहे कितने हलकानों में ।।1।।
दिल को दिल से लगाकर रखना
बीत न जायें बातों में ।
हां दो गज की दूरी बनाये रखना
इनायत को सजाने में ।।2।।
दिल की खिली हुई तस्तरी पर
फरेब न इन दामन में ।
बहकता दिल संभाल कर रखना
भूल न जाये महफिल में।।3।।
पत्थर ने कहा दिल से बन जा
सब लगे हैं तोड़ने में।
प्यार की गाड़ी दिल पर दौड़ेगी
लगेगें सब मुँह मोड़ने में।।4।।
~तरुण यादव रघुनियां
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