दुःख से तबाह ये जीवन का करो संभाल।।1।।
माया के जाल में फंस कर हुआ कंगाल
बाहर भटक भटक कर जिंदगी बदहाल।।2।।
जवानी और धन के मद में गया भूल
जमाना को अपना समझा हुआ भूल।।3।।
पाप में यौवन,जीवन का खपाया मूल
जो कुछ साथ लाया सब किया धूल।।4।।
हे वंशीधारी,शरण में हूँ लो संभाल
बांसुरी धुन से हटा दो माया जाल ।।5।।
~तरुण यादव रघुनियां
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