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हे सुर्य देव पूजा करो स्वीकार
पानी बीच दर्शन को तैयार ।
आज प्रभु उगने में किये देर
मैं तो आस में खड़ी हूँ कुबेर।।1।।
सजे हैं नदी,तालाब और झील
चारों ओर लगी हैं बड़ी भीड़ ।
निर्जला होकर करते सब पर्व
हमें दिनकर की भक्ति पर गर्व।।2।।
हाथ में सूप,ढाकी लिये खड़े
सेब,ईख,नारियल फल से भरे
पुरी,खीर,शकरकंद,फल आदि हैं
हे आदित्य! दर्शन दो जल्दी हैं ।।3।।
आपके कृपा से धन,संतान पाते हैं
हर साल व्रती घाट पर आते हैं ।
सबके सारी विपदा को हर लेते हैं
यही कामना लेकर सब यहाँ आते हैं ।।4।।
~तरुण यादव रघुनियां
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