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सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

ध्यान भजन में कमी

दुनिया में सुख खोजते खोजते
बीत गए बारह साल
अंदर झांक कर देखा तो
नजर आया कंगाल ही कंगाल।।1।।

उम्र बढ़ने के साथ साथ
बदलता गया चाल
ध्यान भजन में कमी होते गया
अशांति में जीवन का हाल।।2।।


सत्संग में नित जाते हैं
सुनते संसार है माया जाल
पंप पाप बच नहीं पाते
दूसरे से पूछते कैसे हैं हाल।।3।।


गुरु मंत्र, गुरु दीक्षा का
नहीं कर सके संभाल
अंधकार में फंस कर रो रहा
कैसे होगा जीवन निहाल।।4।।
~तरूण यादव रघुनियां

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