दूसरे का क्यों सुनते हो
एक जगह रहने पर भी
क्यों खोये खोये रहते हो।।1।।
मन में क्यों वैर रखते हो
झूठे दिल को दर्द देते हो
अपना तो अपने होते हैं
बेकार का कटे रहते हो।।2।।
तुम तो मेरे बारे में सोचते हो
लेकिन कुछ नहीं कहते हो
छोड़ो इस नादानी को
क्यों बेवजह रूठे रहते हो।।3।।
~तरूण यादव रघुनियां
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