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रविवार, 7 मार्च 2021

आंखों की खामोशी

आंखों की खामोशी में
 कई राज बाकी है
तुम बिन किसे दिखाऊं,
मेरी साज बाकी है।।1।।


तुम्हारे सूरत के बिना,
सब मूरत फीका है
हाथ किसे दिखाऊं,
कितना गजब लिखा है।।2।।


आंखों की खामोशी में,
 कितना दर्द छिपा है
हां रे मेरी तन्हाई ,
मेरा बेदर्द कहां छुपा है।।3।।
~तरूण यादव रघुनियां मधेपुरा


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