कई राज बाकी है
तुम बिन किसे दिखाऊं,
मेरी साज बाकी है।।1।।
तुम्हारे सूरत के बिना,
सब मूरत फीका है
हाथ किसे दिखाऊं,
कितना गजब लिखा है।।2।।
आंखों की खामोशी में,
कितना दर्द छिपा है
हां रे मेरी तन्हाई ,
मेरा बेदर्द कहां छुपा है।।3।।
~तरूण यादव रघुनियां मधेपुरा
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